A Forage of Love
— A Hindi Poem on quintessence of love
वो भी सोचते होंगे, कितना
सोचता हूँ मैं
क्या है सोच मेरी, और कौन हूँ
मैं॰॰
उसको ढूँढता हूँ खुद में
या खुद को ढूँढता हूँ उस में
क्या है वो , और किस
आस में हूँ मैं॰॰
उसकी नज़रों में जो है
उस अक्श की तलाश
में हूँ मैं॰॰
मुझको अपनी फ़िक्र
कुछ नहीं
अब तो बस उसकी
फ़िक्र में हूँ मैं॰॰
तस्वीर तो एक ज़रिया है
उनको जिगर में रखने की
ख्वाहिश हूँ मेरी॰॰
ना होंगी पुरी हसरत मेरी
ये पता है उन्हें और मुझे
पर जुस्तजू तो है
वही हूँ मैं॰॰॰
In-Short:
वो भी सोचते होंगे, कितना
सोचता हूँ मैं
क्या है सोच मेरी, और कौन हूँ
मैं॰॰
उसको ढूँढता हूँ खुद में
या खुद को ढूँढता हूँ उस में
क्या है वो , और किस
आस में हूँ मैं॰॰
उसकी नज़रों में जो है
उस अक्श की तलाश
में हूँ मैं॰॰
मुझको अपनी फ़िक्र
कुछ नहीं
अब तो बस उसकी
फ़िक्र में हूँ मैं॰॰
तस्वीर तो एक ज़रिया है
उनको जिगर में रखने की
ख्वाहिश हूँ मेरी॰॰
ना होंगी पुरी हसरत मेरी
ये पता है उन्हें और मुझे
पर जुस्तजू तो है
वही हूँ मैं॰॰॰
About Me:
My name is Santosh Akhilesh, I’m a Computer Science Engineer; I love to and attempt to write about; Humans and Philosophy, Poets and Poems, Artists and Arts and Humans and Computers; all together, all intermingled, all united as an unison like a Beethoven Symphony.
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